UP News: महापौर सुषमा खर्कवाल ने संपत्ति विभाग की लापरवाही पर जताई कड़ी नाराजगी, नगर निगम को हो रहे नुकसान पर जताई चिंता

UP News: महापौर सुषमा खर्कवाल ने संपत्ति विभाग की लापरवाही पर जताई कड़ी नाराजगी, नगर निगम को हो रहे नुकसान पर जताई चिंता

UP News: लखनऊ नगर निगम की महापौर सुषमा खर्कवाल ने नगर निगम के संपत्ति विभाग के कामकाज को लेकर गंभीर चिंता जताई है। हाल ही में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में उन्होंने विभागीय लापरवाही पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि विभाग की अनदेखी के चलते नगर निगम को कई मामलों में वित्तीय और प्रशासनिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने साफ शब्दों में चेताया कि ऐसी लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

बैठक में उभरी गड़बड़ियों की परतें

नगर निगम मुख्यालय में आयोजित इस समीक्षा बैठक में नगर आयुक्त गौरव कुमार, नगर आयुक्त नम्रता सिंह और संपत्ति प्रभारी संजय यादव समेत विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में महापौर ने संपत्ति विभाग की कार्यप्रणाली पर गहरी असंतोष जाहिर की और विभागीय कामकाज की विस्तार से समीक्षा की।

उन्होंने कहा कि विभाग की निष्क्रियता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये के कारण न केवल नगर निगम की प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही है, बल्कि इससे जनता और जनप्रतिनिधियों में भी गलत संदेश जा रहा है।

कोर्ट में लंबित मामलों की सूची तुरंत मांगी गई

महापौर सुषमा खर्कवाल ने स्पष्ट निर्देश दिए कि जितने भी मामले न्यायालयों में लंबित हैं, विशेषकर PPE एक्ट के अंतर्गत चल रहे मुकदमों की अद्यतन सूची तत्काल प्रस्तुत की जाए। साथ ही उन्होंने इन मामलों की जांच कर पूरी रिपोर्ट सौंपने के आदेश भी दिए हैं। इसके साथ-साथ PPE एक्ट से संबंधित सभी केसों की तिथिवार सूची तैयार कर जल्द से जल्द उपलब्ध कराने को भी कहा गया।

पत्राचार में लापरवाही पर तीखी टिप्पणी

बैठक में महापौर ने यह गंभीर आरोप लगाया कि उनके कार्यालय से संपत्ति विभाग को भेजे गए कई महत्वपूर्ण पत्र विभाग में पहुंच ही नहीं पाए। उन्होंने कहा कि पत्रों का इस तरह गायब हो जाना न केवल चिंताजनक है बल्कि यह विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल उठाता है।

महापौर ने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि इन पत्रों की पूरी जांच की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में कोई भी पत्र लापता न हो। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि महापौर कार्यालय से भेजे गए पत्रों का उत्तर तय समय-सीमा के भीतर देना अनिवार्य होगा।

दो वर्षों की शिकायतों की मांगी गई रिपोर्ट

महापौर ने यह भी निर्देश दिए कि पिछले दो वर्षों में सांसद, विधायक, एमएलसी और पार्षदों द्वारा भेजे गए सभी शिकायती पत्रों की स्थिति की विस्तृत रिपोर्ट उन्हें सौंपी जाए। उन्होंने अधिकारियों को यह स्पष्ट कर दिया कि जनता और जनप्रतिनिधियों की शिकायतों का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर किया जाए और उसमें किसी प्रकार की देरी स्वीकार नहीं की जाएगी।

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