
UP News: KGMU की महिला डॉक्टरों पर गंभीर आरोप, बिना अनुमति कर दी नसबंदी, कोर्ट के आदेश पर यूपी सरकार समेत छह पर FIR दर्ज
UP News: लखनऊ के प्रतिष्ठित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के क्वीन मैरी अस्पताल में एक महिला मरीज की बिना अनुमति नसबंदी किए जाने के मामले ने प्रदेश भर में हड़कंप मचा दिया है। यह मामला वर्ष 2022 का है, लेकिन अब पीड़ित की लगातार कोशिशों के बाद कोर्ट के आदेश पर उत्तर प्रदेश सरकार समेत छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
डिलीवरी के लिए अस्पताल में भर्ती, लेकिन हो गई बिना अनुमति नसबंदी
हरदोई जिले के रहने वाले हेमवती नंदन ने आरोप लगाया है कि उन्होंने 4 अक्टूबर 2022 को अपनी पत्नी को डिलीवरी के लिए लखनऊ स्थित केजीएमयू के क्वीन मैरी अस्पताल में भर्ती कराया था। डॉ. अमिता पांडे, डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. निदा खान और डॉ. शिवानी समेत अन्य डॉक्टरों की टीम ने इलाज शुरू किया। 5 अक्टूबर को उनकी पत्नी ने एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन नवजात की तबीयत बिगड़ने के बाद उसे वेंटिलेटर पर रखा गया, जहां उसकी मौत हो गई।
हेमवती नंदन का दावा है कि इसी दौरान उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी की नसबंदी भी कर दी गई है, जबकि उन्होंने इसके लिए पहले ही लिखित रूप से मना किया था। जब उन्होंने डॉक्टरों से इस बारे में सवाल किया तो उन्हें धमकी दी गई कि अगर ज्यादा सवाल किए तो टांके नहीं लगाए जाएंगे और इलाज में दिक्कतें खड़ी की जाएंगी।
पुलिस, पोर्टल और अफसरों से की शिकायत, नहीं हुआ कोई एक्शन
पीड़ित ने बताया कि discharge के बाद उन्होंने चौक थाने में शिकायत दर्ज कराई। इसके अलावा सीएम पोर्टल, ऑनलाइन एफआईआर, लखनऊ पुलिस कमिश्नर, मुख्यमंत्री कार्यालय और महिला आयोग को भी पत्र भेजे, लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने यह भी बताया कि डॉक्टरों ने शिकायत वापस लेने का दबाव बनाया और कहा कि “हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे।” लगातार प्रयासों और निराशा के बाद पीड़ित ने अंततः न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
कोर्ट के आदेश पर ढाई साल बाद दर्ज हुई FIR
करीब ढाई साल की लंबी लड़ाई के बाद कोर्ट के आदेश पर लखनऊ के चौक थाने में संबंधित महिला डॉक्टरों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। दर्ज एफआईआर में उत्तर प्रदेश सरकार, केजीएमयू के तत्कालीन कुलपति (VC) और चार महिला डॉक्टरों — डॉ. अमिता पांडे, डॉ. मोनिका अग्रवाल, डॉ. निदा खान और डॉ. शिवानी के नाम शामिल हैं।
इन सभी के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 338 (जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाना), 467 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी की नीयत से जाली दस्तावेज तैयार करना) और 506 (धमकी देना) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।