
Dharali Disaster 2025: धराली आपदा में लापता 67 लोगों का 51 दिन बाद जारी होगा डेथ सर्टिफिकेट, केंद्र सरकार का फैसला
Dharali Disaster 2025: उत्तराखंड राज्य में इस बार मौसम का भयंकर रूप देखने को मिला है। कई स्थानों पर बादल फटने की वजह से तबाही का खौफनाक मंजर नजर आया है। ऐसा ही नज़ारा आज से करीब 51 दिन पहले धराली में दिखाई दिया था। जब यहां बादल फटने की वजह से पूरा गांव मलबे की चपेट में आ गया था। (Dharali Disaster 2025) इस बड़े हादसे में कई लोगों की जान चली गयी थी और कई लोग लापता हो गए थे। हादसे के करीब 51 दिन बाद सरकार ने लापता लोगों का डेथ सर्टिफिकेट जारी करने का निर्देश दिया है।
धराली हादसे को करीब 2 महीने का वक़्त होने वाला है। इस हादसे में लगभग 67 लोग लापता हो गए थे, जिन्हें प्रशासन की ओर से खोजने का लगातार प्रयास किया गया था। हालांकि इनका कोई भी सुराग हाथ नहीं लग सका। यही वजह है कि अब सरकार ने केंद्र सरकार ने आदेश दे दिया है कि 67 लोगों का मृत्यु प्रमाण जारी कर दिया जाये।
Dharali Disaster 2025: केंद्र सरकार की ओर से मिली मंजूरी
डेथ सर्टिफिकेट जारी होने के बाद लापता लोगों के परिवार के लोगों को राहत के तौर पर आर्थिक रूप से मदद दी जाएगी। हादसे के बाद प्रदेश सरकार की ओर से लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने को लेकर गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा था। महारजिस्ट्रार गृह मंत्रालय ने लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने की मंजूरी दे दी है।
अब गृह मंत्रालय ने साल 2021 की तर्ज पर धराली आपदा में लापता लोगों का मृत्यु पंजीकरण करने की मंजूरी दी है। 2021 में चमोली जिले के रैणी में भी इसी तरह का हादसा हुआ था।
कैसे जारी किया जाएगा मृत्यु प्रमाण पत्र?
केंद्र सरकार ने भले ही मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दे दिए हों, लेकिन इसमें भी काफी लंबा वक़्त लगेगा। आपदा में लापता झुए लोगों को मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पहले लापता व्यक्ति की शिकायत दर्ज करानी होगी। इसके बाद 30 दिन का नोटिस जारी किया जाएगा। (Dharali Disaster 2025) इसके बाद कोई आपत्ति दर्ज न होने पर मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
धराली में हादसा कब हुआ था
उत्तरकाशी के धराली में 5 अगस्त को दोपहर करीब 1.45 बजे बादल फट गया था, जिससे खीर गंगा नदी में बाढ़ आए गयी थी। (Dharali Disaster 2025) जिसमें मात्र 34 सेकेंड में धराली गांव जमींदोज हो गया था। धराली पहुंचने वाली सड़कें पूरी तरह से नष्ट हो चुकी हैं। मलबा इतनी तेजी से गांव में पहुंचा था कि लोगों को संभलने तक का ज़रा भी वक़्त नहीं मिल सका था।