
West Bengal SIR Revision: बिगड़ गया TMC का खेल… SIR ने खोला बंगाल की राजनीति का सबसे बड़ा राज! घबराईं ममता बनर्जी, अब 4 दिसंबर का इंतज़ार…
West Bengal SIR Revision: यदि किसी राज्य की ‘वोटर लिस्ट’ का सच अचानक सबके सामने आ जाए तो क्या होगा? क्या होगा यदि सालों से छुपे मतदाता, फर्जी पहचानें और अवैध रूप से जुड़े नाम एक-एक कर उजागर होने लग जाएं ? फिलहाल… पश्चिम बंगाल में इस समय कुछ ऐसा ही यही हो रहा है।
पश्चिम बंगाल की राजनीति इस वक़्त अपने सबसे बड़े बदलावों में से एक से गुजर रही है। सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद चुनाव आयोग द्वारा शुरू किए गए Special Intensive Revision (SIR) अभियान ने पूरे राज्य में बड़े स्तर पर सियासी गलियारों में गज़ब की हलचल पैसा कर दी है। पहली बार इतनी सख्त वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया लागू की गई है, जिसके प्रभाव ने न सिर्फ प्रशासन बल्कि ममता बनर्जी की सत्ता की नसों में सनसनी दौड़ा दी है। आपको बता दे, यह मामला केवल फर्जी वोटरों को हटाने का नहीं… बल्कि बंगाल की राजनीतिक संरचना को जड़ से ‘हिलाने’ का है।
Also Read –Bareilly News: बरेली में बुलडोजर एक्शन, मौलाना तौकीर के करीबी की मार्केट जमींदोज, सुरक्षा टाइट
West Bengal SIR Revision: घर-घर वेरिफिकेशन, कागज़ों की जांच -‘आप हैं कौन?’
SIR अभियान के अंतर्गत बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) घर-घर जाकर लोगों के दस्तावेज़ चेक कर रहे हैं। सवाल वही हैं जो दशकों से पूछे जाने चाहिए थे-
– आपका जन्म कहाँ हुआ?
– आपका पिता कौन है?
– आधार कार्ड कब बना?
– नागरिकता का प्रमाण क्या है?
इन सभी सवालों ने उस बड़ी आबादी को कटघरे में लाकर खड़ा किया है जिसे सालों से राजनीतिक छत्रछाया में ‘छिपाकर’ रखा गया था।
बॉर्डर पर भगदड़
राज्य के बॉर्डर इलाकों में इन दिनों अजीब माहौल है बना हुआ है। बसों में बैठे कई परिवार, छोटे-छोटे बैग लिए लोग, इधर-उधर देखते चेहरे, सीमा चौकियों पर बढ़ती भीड़ आदि। कई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है जिनमें लोग खुद स्वीकार करते दिख रहे हैं कि “हमारे पास वैध दस्तावेज़ नहीं… पकड़े जाने की वजह से बचने के लिए वापस जा रहे हैं।” इतना ही नहीं… BSF के अनुसार, सीमा पर संदिग्ध समूह लगातार पकड़े जा रहे हैं। यह मामला सिर्फ अवैध प्रवास का प्रमाण नहीं बल्कि उस राजनीतिक तंत्र का खुलासा है जिसे लंबे वक़्त तक छिपाया गया था।
Also Read –USA Christmas shooting: दहल उठा अमेरिका! नॉर्थ कैरोलिना में गोलीबारी का कहर, कई की मौत की आशंका
आखिर… ममता बनर्जी SIR के खिलाफ क्यों?
20 नवंबर 2025 को ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर SIR प्रक्रिया को अव्यवस्थित, खतरनाक और जल्दबाजी में शुरू किया गया बताया। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि असली चिंता कहीं और है।
SIR के बाद
– फर्जी प्रविष्टियां हट जाएंगी
– आधार लिंकिंग सख्ती से लागू होगी
– साल 2002 की वोटर लिस्ट से मिलान अनिवार्य होगा
UIDAI पहले ही लाखों आधार कार्ड निष्क्रिय कर चुका है। ऐसे में सालों पहले से बने फर्जी कार्ड, राशन और योजनाओं का लाभ बंद हो सकता है। यही वह संरचना है जिस पर ‘TMC की वोट राजनीति’ कई सालों से टिकी हुई थी।
ममता की रणनीति फेल
TMC को यह बात पहले से पता थी कि ये प्रभावित समूह विरोध में सड़क पर अवश्य उतरेंगे, जिससे राजनीतिक संदेश जाएगा कि ‘जनता चुनाव आयोग के खिलाफ है।’ लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि इसके थी उल्टा हुआ।
– लोग सड़क पर आने के बजाय एकदम से गायब होने लगे
– किसी तरह का विरोध हुआ ही नहीं
– और पलायन की घटनाएँ बढ़ गयीं
बस यही… यह TMC के लिए बड़ा झटका है साबित हुआ क्योंकि “जो वोट बैंक आपका है ही नहीं, वह आपके लिए खड़ा भी नहीं होता।”
राज्य की राजनीति में भूचाल
4 दिसंबर 2025 को वेरिफिकेशन खत्म हो जाएगा और असली वोटर लिस्ट सामने आएगी और तब पता चलेगा कि, कितनी फर्जी प्रविष्टियां हटाई गईं, कितने नाम गलत पाए गए और कितनी आबादी वास्तविक रूप से नागरिक है। अगर बड़े पैमाने पर नाम हटते हैं तो यह ‘बंगाल की राजनीति’ की सबसे बड़ी जनसंख्या-सर्जरी साबित होगी।
राष्ट्रीय सुरक्षा का भी उठा मामला
अवैध प्रवास का मामला केवल वोट बैंक तक सीमित नहीं है बल्कि यह सुरक्षा एजेंसियों की चिंताएँ, सीमा क्षेत्रों में बदलती जनसंख्या और नकली दस्तावेज़ों का नेटवर्क आदि ये सभी मुद्दे लंबे समय से अनदेखे किए गए। अब पहली बार राज्य में व्यापक स्तर पर सच सामने आयेगा।
क्या बंगाल एक नई शुरुआत की ओर?
राज्य में SIR प्रक्रिया को लोकतंत्र की मजबूती, पारदर्शी चुनाव और साफ वोटर लिस्ट की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव सबसे गहरा होगा जिसमें
– TMC का गणित बदला सकता है
– विपक्ष को नया अवसर मिलेगा
– राज्य की सुरक्षा नीति पहले से मजबूत हो सकती है
आज पश्चिम बंगाल एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। SIR अभियान ने पहली बार यह साबित किया है कि लोकतंत्र सिर्फ वोट डालने का अधिकार नहीं, बल्कि वोटर की वास्तविकता की पहचान भी है। यह कार्रवाई उन राजनीतिक समीकरणों को चुनौती दे रही है जिन्हें सालों से फर्जी पहचान, अवैध प्रवास और काग़ज़ों के खेल के सहारे टिकाए रखा गया था। लेकिन… अब खेल बदलते हुए दिख रहा है।
4 दिसंबर 2025 को जब अंतिम सत्यापित वोटर लिस्ट सामने आएगी, तब यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएगा कि बंगाल का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में मोड़ लेने जा रही है। इस बीच अब बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या पुरानी सत्ता समीकरण टूट जाएंगे? क्या राज्य में नए राजनीतिक अवसर पैदा होंगे या फिर यह प्रक्रिया बंगाल की सुरक्षा और लोकतंत्र की गुणवत्ता को नए स्तर पर ले जाएगी?
