
Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में भूकंप के तेज झटके, 250 लोगों की मौत, दिल्ली NCR तक हिली धरती
Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी इलाके में 31 अगस्त और 1 सितंबर की दरम्यानी रात को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. भूकंप के इन झटकों नेअफगानिस्तान में भारी तबाही मचाई है. तालिबान सरकार से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस भूकंप में कम से कम 250 लोग मारे गए हैं. और 400 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वे (USGS) के मुताबिक रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6.0 मापी गई. भूकंप इतना तेज था कि इसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद से लेकर दिल्ली NCR तक महसूस किए गए.
तालिबान सरकार के अधिकारियों ने मानवीय संगठनों से दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में राहत बचाव प्रयासों में सहायता करने का आग्रह किया है. कुछ इलाकों तक भूस्खलन और बाढ़ के चलते केवल हवाई मार्ग से ही पहुंचा जा सकता है.
ये भी पढ़ें –Modi-Putin Meet: मोदी-पुतिन मुलाकात: ट्रंप के आरोपों के बाद SCO समिट में बड़ा एलान मुमकिन!
USGS के मु्ताबिक, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के जलालाबाद से 27 किलोमीटर पूर्व-उत्तर पूर्व (ENE) में 8 किलोमीटर की गहराई में था. भारतीय समयानुसार भूकंप के झटके 31 अगस्त और 1 सितंबर की दरम्यानी रात को 12 बजकर 47 मिनट पर महसूस किए गए. (Afghanistan Earthquake) इसके करीब 20 मिनट बाद भूकंप का एक और झटका महसूस किया गया. इसकी तीव्रता 4.5 मापी गई. और इसका केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में था.
Afghanistan Earthquake: अफगानिस्तान में लगते रहते हैं भूकंप के झटके
अफगानिस्तान का हिंदूकुश पर्वतीय इलाका भूवैज्ञानिक रूप से काफी एक्टिव है. यहां हर साल भूकंप आते रहते हैं. यह इलाका भारतीय और यूरेशियन टेक्टॉनिक प्लेट्स के जंक्शन पर स्थित है, जबकि एक फॉल्ट लाइन सीधे हेरात से होकर गुजरती है. पिछले महीने भी यहां कई झटके दर्ज किए गए थे. 2 अगस्त को 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसकी गहराई 87 किलोमीटर थी. वहीं 6 अगस्त को 4.2 तीव्रता का भूकंप आया था.
ये भी पढ़ें –Gorakhpur News: 2200 करोड़ की परियोजनाओं का तोहफा देंगे सीएम योगी, कोका-कोला का लगेगा प्लांट
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सतही (Shallow) भूकंप गहरे भूकंपों के तुलना में ज्यादा खतरनाक होते हैं, क्योंकि इनके झटके सतह तक कम दूरी में पहुंचते हैं. और इससे जमीन पर ज्यादा तेज कंपन होता है. जिसके चलते इमारतों को अधिक नुकसान पहुंचने की संभावना होती है.