
Asaduddin Owaisi: नीतीश की आंधी के बीच औवैसी ने उड़ाया गर्दा, सीमांचल में लहराया परचम
Asaduddin Owaisi: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने बिहार के सीमांचल क्षेत्र में अपने दमदार प्रदर्शन से राजनीतिक मैदान में नया इतिहास रच दिया है। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने नीतीश कुमार की मजबूत पकड़ के बीच पारंपरिक दलों को कड़ी टक्कर देते हुए सीमांचल के पांच विधानसभाओं पर कब्जा किया है। जोगीहाट से लेकर ठाकुरगंज, कोचाधमन, अमौर और बैसी तक AIMIM के उम्मीदवारों ने मतदाताओं का विश्वास जीतकर बड़ा राजनीतिक प्रभाव बनाया है। इस क्षेत्र में पार्टी की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है, जो साफ दर्शाता है कि मुस्लिम समाज इस पार्टी को अपनी आवाज़ के तौर पर देख रहा है।
जोगीहाट में मोहम्मद मुरशिद आलम ने 5332 वोटों के अंतर से बढ़त बनाए रखी है, जबकि ठाकुरगंज से ग़ुलाम हसनैन मामूली बढ़त हासिल करके जीत की दिशा में हैं। (Asaduddin Owaisi) कोचाधमन में एमडी सरवार आलम 17512 वोटों से आगे हैं, अमौर से अख्तरुल इमान 17226 वोट से बढ़त बनाए हुए हैं और बैसी से ग़ुलाम सरवार ने 9128 वोटों का जोरदार मुकाबला दिखाया है। इन परिणामों से यह स्पष्ट होता है कि सीमांचल की राजनीति में AIMIM की पैठ मजबूत हो रही है और यह पारंपरिक दलों जैसे जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन गई है।
सीमांचल क्षेत्र की मुस्लिम आबादी की बड़ी हिस्सेदारी के कारण यह चुनावी मुकाबला विशेष महत्व रखता है, जहां किशनगंज में मुस्लिम आबादी 67%, कटिहार में 42%, अररिया में 41% और पूर्णिया में 37% के करीब है। साल 2015 में इस क्षेत्र में AIMIM ने पहली बार चुनाव लड़ा था, लेकिन तब पार्टी को सीट नहीं मिली थी। (Asaduddin Owaisi) अक्टूबर 2019 में किशनगंज उपचुनाव में कमरूल होदा की जीत ने पार्टी के लिए राजनीतिक रास्ता साफ किया। इसके बाद 2020 में पांच सीटों की जीत ने स्थिति को और पुख्ता किया।
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Asaduddin Owaisi: सीमांचल की सियासत में बदलाव के संकेत
असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल की जनता को यह विश्वास दिलाया है कि उनकी पार्टी स्थानीय मुद्दों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और युवाओं के रोजगार के लिए प्रतिबद्ध है। इससे मुस्लिम मतदाताओं का रुख AIMIM की ओर बढ़ा है, जो अब इस क्षेत्र में निर्णायक शक्ति के रूप में उभर रही है। (Asaduddin Owaisi) यह स्थिति नीतीश कुमार की जेडीयू और तेजस्वी यादव की आरजेडी के लिए नई चुनौती लेकर आई है, क्योंकि ये दोनों पार्टियाँ अब नए सियासी समीकरणों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए प्रयासरत हैं।
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सीमांचल के युवा मतदाता अब असदुद्दीन ओवैसी को एक ज़िंदगी और उम्मीद की तरह देखते हैं। बिहार में किसी मुस्लिम नेता के अभाव में AIMIM ने उनके लिए नेतृत्व का विकल्प प्रदान किया है। (Asaduddin Owaisi) सीमांचल के लोग एक सशक्त और आवाज़ रखने वाले नेता की तलाश में हैं, और ओवैसी ने यह खालीपन भरने की दिशा में कदम रखे हैं। यह बदलाव इस क्षेत्र की राजनीति में गहरा प्रभाव डालेगा और आने वाले समय में बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
