
Muzaffarnagar SDM suspended: मुजफ्फरनगर में CM योगी का बड़ा एक्शन, भ्रष्टाचार के आरोप में SDM सस्पेंड, नियमों की भी उड़ाई धज्जियां
Muzaffarnagar SDM suspended: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को एक बार फिर साबित कर दिया है। मुजफ्फरनगर के जानसठ के उपजिलाधिकारी (एसडीएम) जयेंद्र सिंह को सरकारी जमीन के मामले में गंभीर अनियमितताओं के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। (Muzaffarnagar SDM suspended) उन पर आरोप है कि उन्होंने नियमों को ताक पर रखकर एक व्यक्ति को करोड़ों की सरकारी जमीन का मालिक बना दिया, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
Muzaffarnagar SDM suspended: क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला मुजफ्फरनगर की जानसठ तहसील के ग्राम इसहाकवाला से जुड़ा है। यहां डेरावाल कोऑपरेटिव फार्मिंग सोसायटी की करीब 473 बीघा सहित 743 बीघा जमीन पर अमृतपाल बनाम सरकार का वाद चल रहा था। (Muzaffarnagar SDM suspended) आरोप है कि एसडीएम जयेंद्र सिंह ने नियमों की अनदेखी करते हुए इस जमीन को ‘संक्रमणीय भूमिधर’ घोषित कर दिया और उसका स्वामित्व मनमाने तरीके से अमृतपाल सिंह के पक्ष में कर दिया। जब दूसरे पक्ष को इस गड़बड़ी का पता चला, तो उन्होंने जिलाधिकारी से शिकायत की। जिलाधिकारी द्वारा कराई गई शुरुआती जांच में एसडीएम को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया। इसके बाद, सहारनपुर के मंडलायुक्त को रिपोर्ट भेजी गई, जिन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को निलंबन की संस्तुति भेजी।
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भ्रष्टाचार पर योगी सरकार का ‘स्ट्राइक’
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के मामलों में हमेशा सख्त रुख अपनाया है। इस मामले में भी, बिना किसी देरी के, जयेंद्र सिंह को निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि के दौरान उन्हें राजस्व परिषद कार्यालय से संबद्ध किया गया है। (Muzaffarnagar SDM suspended) इसके साथ ही, उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जांच बैठाते हुए यह जिम्मेदारी बरेली के मंडलायुक्त को सौंपी गई है।
अन्य अधिकारियों पर भी हुई कार्रवाई
योगी सरकार सिर्फ जयेंद्र सिंह के मामले में ही नहीं, बल्कि अन्य विभागों में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रही है।
राज्य कर विभाग: कानपुर के अपर आयुक्त अरुण शंकर राय पर भी आरोप है कि उन्होंने उपायुक्त के पद पर रहते हुए गौतमबुद्धनगर में बिल्डरों के वैट निर्धारण में जानबूझ कर गड़बड़ी की, जिससे सरकार को दस करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ।
जीएसटी विभाग: रामपुर खंड एक में तैनात सहायक आयुक्त सतीश कुमार को जीएसटी पंजीयन के आवेदन के निस्तारण के लिए 15 हजार रुपये की घूस लेते हुए पकड़ा गया है।
ये सभी मामले दिखाते हैं कि योगी सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है, और सरकारी अधिकारी भी अब इसकी जद में आ रहे हैं।
