
Sheikh Hasina verdict: 1400 मौतों की जिम्मेदार शेख हसीना! बम गिराने के भी दिए थे आदेश… कोर्ट ने सुनाई मौत की सजा
Sheikh Hasina verdict: लोग कहते हैं कि सत्ता हमेशा सुरक्षित नहीं होती… और इतिहास गवाह है कि जब जनता की आवाज दबाई जाती है, तो सच कभी न कभी अदालत के कटघरे में खड़ा जरूर होता है। बांग्लादेश में भी कुछ ऐसा ही हुआ, जहां महीनों तक चली बहस और हजारों पन्नों की गवाही के बाद दुनिया की नजरें एक बार फिर ढाका की ओर टिक गईं। और आज जो फैसला आया, उसने पूरे दक्षिण एशिया की राजनीति को झकझोर कर रख दिया। शेख हसीना का सजा-ए-मौत हुई।
Sheikh Hasina verdict: जुलाई विद्रोह पर आया ऐतिहासिक फैसला
अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने एक ऐसा फैसला सुनाया, जिसकी चर्चा सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में हो रही है। (Sheikh Hasina verdict) न्यायाधिकरण ने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल, और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को जुलाई 2024 के छात्र विद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध अपराध का दोषी ठहराया है।
ढाका स्थित अदालत से इस फैसले का सीधा प्रसारण बांग्लादेश टेलीविजन (BTV) पर किया गया और वहीं पूरी दुनिया ने देखा कि किस तरह अदालत ने कठोर शब्दों में इस हिंसा को “क्रूर, सुनियोजित और मानवता विरोधी” करार दिया।
1400 लोगों की मौत की सीधी जिम्मेदार शेख हसीना: कोर्ट
अदालत ने कहा कि जुलाई 2024 का छात्र आंदोलन शांतिपूर्ण था, लेकिन आदेशों के बाद उसे बेरहमी से कुचल दिया गया। (Sheikh Hasina verdict) कोर्ट ने सबसे बड़ी टिप्पणी की कि शेख हसीना को पता था कि मैदान में क्या हो रहा है। उन्हीं के आदेश पर पुलिस और सुरक्षा बलों ने घातक हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसकी वजह से 1400 लोग जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे मार दिए गए। यही नहीं, न्यायाधीशों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों पर हेलीकॉप्टर से घातक बम गिराने की अनुमति भी हसीना के दफ्तर से ही दी गई थी।
हेलीकॉप्टर, ड्रोन और गोली… कोर्ट में खुली घटनाओं की खौफनाक परतें
न्यायाधिकरण के मुताबिक, हेलीकॉप्टरों से बम गिराने का आदेश, ड्रोन से प्रदर्शनकारियों पर निगरानी और निशाना साधना, ढाका यूनिवर्सिटी के शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर गोलीबारी और महिलाओं और बच्चों पर भी घातक हथियारों का इस्तेमाल किया गया। (Sheikh Hasina verdict) कोर्ट ने कहा कि यह पूरा अभियान न सिर्फ हिंसक था बल्कि शुरुआत से अंत तक सुनियोजित था। यह भी बताया गया कि ढाका यूनिवर्सिटी के कुलपति को धमकी देते हुए कहा गया था, “रजाकारों की तरह इन्हें भी खत्म कर दिया जाएगा।”
बेगम रोकेया विश्वविद्यालय में अबू सईद की हत्या भी प्रमाणित
अदालत ने 16 जुलाई 2024 को बेगम रोकेया विश्वविद्यालय के सामने छात्र अबू सईद की गोली मारकर हत्या के आरोप को सही ठहराते हुए कहा कि ये आदेश सीधे ऊपर से आए थे। कमाल और मामून ने इन्हें लागू करवाया, इसलिए वे भी बराबर जिम्मेदार हैं।
कोई माफी नहीं, सिर्फ उकसावे: कोर्ट
सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि अदालत के अनुसार इतनी मौतों के बाद भी शेख हसीना ने माफी की जगह “हिंसा भड़काने वाला रवैया” अपनाया। कोर्ट ने साफ कहा कि सबूत इतने मजबूत हैं कि दुनिया की कोई भी अदालत अधिकतम सजा सुनाएगी। इसी के साथ कोर्ट ने शेख हसीना को मौत की सजा दी।
