
Umrah Meaning: एक ही पल में 42 जिंदगियां खत्म: जानें क्या है उमराह और क्यों यह हज से अलग, जहां हुआ यह भीषण हादसा
Umrah Meaning: सऊदी अरब में मक्का से मदीना जा रही एक बस की दुर्घटना में कई भारतीय उमराह यात्रियों की दुखद मौत की खबर सामने आई है। इस घटना के बाद एक बार फिर लोग उमरा और हज के बीच अंतर को लेकर जानकारी ढूंढ रहे हैं। दोनों इस्लाम की अहम इबादतें हैं, लेकिन इनके नियम, समय और अहमियत अलग-अलग हैं। आइए इन्हें सरल भाषा में समझते हैं।
Umrah Meaning: उमरा क्या है?
उमरा को अक्सर “छोटी हज” कहा जाता है। इसे साल के किसी भी महीने और किसी भी दिन किया जा सकता है। उमरा ज्यादा लंबा नहीं होता और कुछ घंटों में पूरा हो सकता है। यह फर्ज़ नहीं है, बल्कि सुन्नत और मुस्तहब माना जाता है, यानी इसे करना अच्छी बात है और इससे सवाब मिलता है। (Umrah Meaning) उमरा की प्रक्रिया काफी सरल मानी जाती है और इसे साल में किसी भी समय किया जा सकता है। उमरा करते समय सबसे पहले एहराम पहनकर नीयत की जाती है, जिसके बाद श्रद्धालु काबा शरीफ के सात चक्कर यानी तवाफ पूरा करते हैं। तवाफ के बाद सई की जाती है, जिसमें सफा और मरवा पहाड़ियों के बीच सात बार आना-जाना शामिल होता है। आखिर में बाल मुंडवाकर या छोटे करवाकर उमरा पूरा किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया कुछ घंटों में पूरी हो जाती है, इसलिए लोग चाहें तो इसे कई बार भी कर सकते हैं।
हज क्या है?
हज इस्लाम का पाँचवाँ फर्ज़ (Farz) है। यह सिर्फ साल में एक बार किया जाता है और हर उस मुसलमान पर अनिवार्य है जो आर्थिक और शारीरिक रूप से सक्षम हो। (Umrah Meaning) हज इस्लामी महीने ज़िलहिज्जा में होता है और इसकी तय तारीखें 8 से 12 ज़िलहिज्जा तक होती हैं।
हज में ये अहम रस्में शामिल हैं:
एहराम पहनना, तवाफ करना, सई करना, अराफात के मैदान में वक़ूफ, मुझदलिफ़ा में रात गुजारना, शैतान को प्रतीकात्मक रूप से पत्थर मारना, क़ुर्बानी करना, बाल कटवाना या मुंडवाना, तवाफ-ए-इफ़ाज़ा और तवाफ-ए-विदा, हज पूरा करने में 5–6 दिन लगते हैं, पर भीड़ और यात्रा की वजह से कई लोग 10–15 दिन तक सऊदी अरब में रुकते हैं।
हज और उमरा अलग क्यों माने जाते हैं?
समय का फर्क: उमरा कभी भी किया जा सकता है, हज सिर्फ तय तारीखों पर। (Umrah Meaning) महत्व का फर्क: हज फर्ज़ है, उमरा सुन्नत। मेहनत और भीड़: हज में कई कठिन रस्में हैं और लाखों लोग शामिल होते हैं। अवधि: उमरा कुछ घंटों में, जबकि हज कई दिनों में पूरा होता है। इसी कारण दोनों को अलग इबादतें माना जाता है।
हज और बकरीद का रिश्ता
बहुत लोग यह जानना चाहते हैं कि बकरीद और हज एक ही समय पर क्यों आते हैं। (Umrah Meaning) इसका कारण यह है कि बकरीद हज़रत इब्राहिम (अ.स.) की क़ुर्बानी की याद में मनाई जाती है। जिस दिन हज में क़ुर्बानी की रस्म होती है, उसी दिन दुनिया भर में मुसलमान ईद-उल-अजहा (बकरीद) मनाते हैं।
रिश्ते के मुख्य कारण:
क़ुर्बानी की सुन्नत: हज में 10 ज़िलहिज्जा को क़ुर्बानी की जाती है, जो बकरीद का दिन होता है।
हज की याद: बकरीद उसी त्याग और आज्ञाकारिता की याद दिलाती है।
स्थान का फर्क: हज सिर्फ मक्का में होता है, लेकिन बकरीद विश्वभर में मनाई जाती है।
हाजी के लिए क़ुर्बानी जरूरी: हज करने वालों के लिए क़ुर्बानी अनिवार्य होती है।
