
UP News: जनता की परेशानी देख पसीजा मायावती का दिल, अब स्मारकों से नहीं घर से देंगी महापुरुषों को श्रद्धांजली
UP News: बसपा प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर स्मारकों या संबंधित स्थलों पर न जाकर, अपने निवास स्थान या पार्टी कार्यालय में श्रद्धांजलि देने का बड़ा निर्णय लिया है। यह घोषणा बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 6 दिसंबर की पुण्यतिथि से पहले की गई है और इसे राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
मायावती ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा करते हुए बताया कि उनके कार्यक्रमों के दौरान सुरक्षा कारणों से प्रशासन को भारी इंतजाम करने पड़ते हैं, जिससे आम लोगों को असुविधा होती है। यही कारण है कि उन्होंने यह निर्णय लिया है और भविष्य में महापुरुषों की जयंती और पुण्यतिथि पर स्मारकों और बड़े आयोजनों में व्यक्तिगत रूप से भाग नहीं लेंगी।
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UP News: जनता की परेशानी पर मायावती का बयान
मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा कि स्मारकों पर उनकी उपस्थिति के दौरान सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर प्रशासन को कड़ी तैयारी करनी पड़ती है, जिससे वहां आने वाले अनुयायी मुख्य स्थल से दूर ही रह जाते हैं और उन्हें परेशानी होती है। इस कारण अब वे स्मारकों, पार्कों या बड़े आयोजनों में खुद उपस्थित नहीं होंगी।
बसपा सरकार में महापुरुषों का सम्मान
मायावती ने अपने पोस्ट में यह भी याद दिलाया कि बसपा की चारों सरकारों ने बहुजन समाज के महापुरुषों को सम्मान देने के लिए स्मारकों, पार्कों और सामाजिक परिवर्तन स्थलों का निर्माण कराया। इनमें प्रमुख महापुरुषों के रूप में—
• महात्मा ज्योतिबा फुले
• राजर्षि छत्रपति शाहूजी महाराज
• श्री नारायण गुरु
• बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर
• मान्यवर कांशीराम
का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि ये स्थल अब अनुयायियों के लिए ‘तीर्थस्थल’ बन चुके हैं, जहां विशेष अवसरों पर भारी भीड़ उमड़ती है।
6 दिसंबर को आंबेडकर की पुण्यतिथि का आयोजन
मायावती ने कहा कि 6 दिसंबर को—
• उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ता और अनुयायी लखनऊ स्थित डॉ. भीमराव आंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल पर एकत्रित होंगे।
• पश्चिमी यूपी, दिल्ली और उत्तराखंड से लोग नोएडा स्थित राष्ट्रीय दलित प्रेरणा स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
वहीं, मायावती स्वयं अपने निवास या पार्टी कार्यालय में ही श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी और अपने अनुयायियों को प्रेरित करेंगी।
मायावती ने इस अवसर पर संदेश दिया कि महापुरुषों के संघर्ष और उनके सिद्धांत ही उनके आंदोलन की ताकत हैं। उनका स्पष्ट लक्ष्य है कि बहुजन समाज को आत्म-सम्मान और स्वाभिमान दिलाते हुए, सत्ता की “मास्टर चाबी” हासिल की जाए।
