
Bihar Assembly Election 2025: मोदी-नीतीश जिस सीट पर खड़े हुये निर्दलीय के समर्थन में, उस सीट का क्या है समीकरण?
Bihar Assembly Election 2025: छपरा जिले के मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी माहौल अब पूरे शबाब पर है। गलियों और चौपालों में सिर्फ एक ही चर्चा है इस बार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के मौजूदा विधायक जितेन्द्र कुमार राय और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी नवीन कुमार सिंह उर्फ अभय सिंह के बीच सीधी टक्कर।
दरअसल, यह मुकाबला तब दिलचस्प बना जब लोजपा (रामविलास) उम्मीदवार सीमा सिंह की नामांकन रद्द हो गई। इसके बाद एनडीए ने निर्दलीय प्रत्याशी अंकित कुमार को समर्थन देने का निर्णय लिया, लेकिन स्थानीय मतदाताओं में उन्हें लेकर उत्साह कम दिख रहा है। आम धारणा यही है कि अंकित को लोग सहज रूप से एनडीए उम्मीदवार के रूप में स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं।
Bihar Assembly Election 2025: बीजेपी वोटरों के बिखरने की आशंका
इस बीच, जदयू के बागी नेता अल्ताफ आलम राजू ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। राजू, जिन्होंने पिछले चुनाव में जितेन्द्र राय को कड़ी टक्कर दी थी, इस बार नामांकन रद्द होने के बाद जदयू से इस्तीफा देकर राजद में शामिल हो गए हैं और अब जितेन्द्र के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। (Bihar Assembly Election 2025) ऐसे में अगर बीजेपी वोटरों में नाराजगी या बिखराव होता है, तो उसका सीधा फायदा राजद उम्मीदवार को मिलने की संभावना है।
तीन बार के विधायक, चौथी जीत की तैयारी
जितेन्द्र कुमार राय, जो 2010 से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं, चौथी जीत दर्ज करने की पूरी कोशिश में जुटे हैं। उनके पिता दिवंगत यदुवंशी राय भी दो बार विधायक रह चुके हैं। (Bihar Assembly Election 2025) जनसंपर्क के दौरान जितेन्द्र राय विकास और स्थिरता को अपना मुख्य मुद्दा बना रहे हैं, जबकि जन सुराज पार्टी के अभय सिंह युवाओं और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर जनता से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं जो इस समय बिहार की सबसे बड़ी समस्या मानी जा रही है।
जातीय समीकरण और राजनीतिक रणनीति
मढ़ौरा का चुनाव हमेशा से जातीय संतुलन पर निर्भर रहा है। यहां यादव और ब्रह्मर्षि समाज की पकड़ मजबूत मानी जाती है। (Bihar Assembly Election 2025) यही वर्ग अक्सर चुनावी हवा का रुख तय करता है। दोनों प्रमुख उम्मीदवार इस समीकरण को अपने पक्ष में करने के लिए पूरा दमखम लगा रहे हैं।
कभी औद्योगिक केंद्र रहा मढ़ौरा, अब बेरोजगारी से जूझता इलाका
मढ़ौरा कभी बिहार के औद्योगिक नक्शे पर चमकता था। यहां की चार प्रमुख फैक्ट्रियों की चिमनियां अब सालों से ठंडी पड़ी हैं। चीनी मिल और मॉर्टन टॉफी फैक्ट्री की यादें आज भी लोगों के दिल में हैं, लेकिन उनका पुनर्जीवन अब तक अधूरा है। (Bihar Assembly Election 2025) किसान घाटे की खेती से परेशान हैं और युवा पलायन और बेरोजगारी के दर्द से जूझ रहे हैं।
मुकाबला जबरदस्त, मुद्दे वही पुराने
2020 के चुनाव में जहां 23 प्रत्याशी मैदान में थे, वहीं इस बार सिर्फ 9 उम्मीदवार हैं 5 दलीय और 4 निर्दलीय। उम्मीदवारों की संख्या भले कम हुई हो, लेकिन मुकाबला और भी रोमांचक हो गया है। (Bihar Assembly Election 2025) जनता अब विकास और रोजगार को प्राथमिकता दे रही है, जबकि नेता पुराने वादों को नए संकल्पों के साथ दोहरा रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि मढ़ौरा की जनता चौथी बार ‘राजा’ जितेन्द्र राय पर भरोसा जताती है या इस बार अभय सिंह को नया मौका देकर राजनीतिक ताज उनके सिर सजाती है।
