Supreme Court TET: फैसले से यूपी के साढ़े नौ लाख शिक्षक प्रभावित, भड़का आक्रोश

Supreme Court TET: फैसले से यूपी के साढ़े नौ लाख शिक्षक प्रभावित, भड़का आक्रोश

Supreme Court TET: सुप्रीम कोर्ट के देश भर के शिक्षकों पर आए ऐतिहासिर फैसले ने उत्तर प्रदेश के शिक्षकों को झकझोर के रख दिया है। उत्तर प्रदेश में कक्षा एक से पांच तक प्राथमिक विद्यालयों में वर्तमान में लगभग 3,38,580 शिक्षक कार्यरत हैं। इसी तरह प्रदेश में कक्षा 6 से 8 तक लगभग 6,28,915 बेसिक शिक्षक हैं, जिनमें अंशकालिक अनुदेशक, शिक्षा मित्र और सहायक अध्यापक शामिल हैं। (Supreme Court TET) यानी मोटे अनुमान के अनुसार लगभग साढ़े नौ लाख शिक्षक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सीधे प्रभावित हो रहे हैं।

उम्र की अधेड़ावस्था में पहुंच चुके या उस ओर बढ़ रहे अध्यापकों के लिए इस समय टीईटी पास करना किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। और फैसले पर उनका आक्रोश बढ़ना शुरू हो गया है। उन्नाव के बेसिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष कृष्ण शंकर मिश्र का कहना है कि यह एकतरफा निर्णय, एक्ट की स्थापना से पहले के टीचरों पर यह नियम थोपना गलत है, यानी 2010 के पहले के टीचरों पर फैसला लागू होना पूर्णतया अन्यायपूर्ण है। (Supreme Court TET) वह सवाल करते हैं कि 45-46 साल के टीचर क्या टेट परीक्षा पास कर पाएंगे। आप क्या उम्मीद करते हैं या जो 50 साल के हो चुके हैं उनसे क्या उम्मीद है। कानपुर की एक अध्यापक अर्चना अवस्थी कहती हैं कि ये टीचरों को नौकरी से निकालने का फंडा है। वह कहती हैं कि 2006 के बाद के टीचर पेंशन विहीन हैं। अगर अनिवार्य सेवा निवृत्ति होती है तो उन्हें क्या मिलेगा क्या दो या तीन हजार की पेंशन में उनके परिवार का गुजारा हो सकता है।

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एक और अध्यापक धीरेंद्र दत्त मिश्रा कहते हैं ये सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार की मंशा के अनुरूप आया है। पहले तो बेतहाशा स्कूल खोलना गलत था फिर स्कूलों के मर्जर के बाद शिक्षकों की बढ़ी संख्या को विदाई देने का यह कानूनी तरीका है। (Supreme Court TET) लगभग साढ़े नौ लाख टीचरों में आधे से ज्यादा टीईटी पास नहीं कर पाएंगे या देंगे ही नहीं और अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बाहर हो जाएंगे।

लखनऊ के एक अध्यापक कहते हैं सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिक्षा के निजीकरण की तैयारी पर अदालत की मुहर है। (Supreme Court TET) अभी एक स्कूल पर सरकार एक गांव में एक गांव में शिक्षकों के वेतन सहित सरकार लगभग पांच-छह लाख रुपये खर्च कर रही है। स्कूलों के बंद होने के बाद प्रभावशाली लोग या शिक्षा माफिया एनजीओ बनाकर सरकार के पैसे स्कूल खोलेंगे और दस दस हजार में टीचर रखकर पढ़वाएंगे। तब क्या शिक्षा का स्तर सुधर जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक BTC प्रशिक्षण पात्रता (eligibility) है, नियुक्ति की गारंटी नहीं। BTC का होना शिक्षक नियुक्ति के लिए शैक्षणिक योग्यता है। (Supreme Court TET) लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा फैसले (1 सितंबर 2025) के अनुसार केवल BTC/ B.Ed. प्रशिक्षण ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि TET पास करना अब अनिवार्य है।

UP के बेसिक शिक्षा स्कूलों के शिक्षक की बात करें तो यदि कोई BTC प्रशिक्षित शिक्षक पहले से नौकरी में हैं और उनकी सेवानिवृत्ति में 5 साल से कम समय बचा है, तो वे बिना TET पास किए सेवा जारी रख सकते हैं, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा।

 

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